कब्ज – Constipation kabj ka ilaj
सुबह या आदत के अनुसार शाम को भी निश्चित समय पर शीघ्र और पूरी तरह शरीर से मल विसर्जन न होना कब्ज का रोग माना जाता है।
यदा-कदा यह रोग सभी को हो जाता है, लेकिन इससे रोजाना परेशान रहना निश्चय ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। निरंतर कब्ज की शिकायत बनी रहने से शरीर और मन दोनों पर दुष्प्रभाव तो पड़ता ही है, बवासीर, भगंदर, साइटिका, फिशर आदि रोग भी जकड़ लेते हैं। इसीलिए कब्ज को विभिन्न रोगों की जड़ कहा जाता है।
कारण : कब्ज पैदा करने वाले कारणों में वक्त-बेवक्त भोजन करने की आदत, नियमित रूप से निर्धारित समय पर भोजन न करना, गरिष्ठ, तले हुए मैदे के व्यंजन, तेज मिर्च-मसालेदार चटपटे भोजन, ठीक से चबाए बिना बार-बार भोजन करना, रात का भोजन देर से करना, पहले का भोजन हजम हुए बिना फिर से भोजन खाना, मानसिक तनाव, चिंता, क्रोध या शोक की अवस्था में भोजन करना, चाय, कॉफी, तंबाकू, सिगरेट-बीड़ी का अधिक सेवन करना, भोजन के तुरंत बाद दिमागी मेहनत करना, मैथुन करना या सो जाना, व्यायाम बिल्कुल न करना, परिश्रम से जी चुराना आदि होते हैं।
लक्षण : कब्ज के लक्षणों में अरुचि, भूख खुलकर न लगना, पेट में भारीपन, मुंह में छाले, पेट फूलना, गैस की तकलीफ, शौच साफ न होना, मल सूखा, कड़ा और कम निकलना, सिर दर्द, जी मिचलाना, कमर तथा जोड़ों में दर्द, मन में ग्लानि, आलस्य, चिड़चिड़ापन, कलेजे में धड़कन मालूम पड़ना, नींद न आना, जीभ पर सफेद मैल जमा रहना आदि देखने को मिलते हैं।
क्या खाएं
खाद्य पदार्थ जहां तक हो सके, प्राकृतिक रूप में ही सेवन करें।
अंकुरित अनाज को प्राथमिकता दें। गेहूं के पौधे का रस पिएं।
गेहूँ, चना, जौ आदि की चोकर सहित मोटी रोटी चबा-चबा कर खाएं।
भोजन में दलिया, खिचड़ी, मूंग, अरहर की दाल की मात्रा बढ़ाएं।
फलों में केले, सेब, अनार, अमरूद, पपीता, आम, खरबूजा तथा सूखे मेवों में मुनक्का, अंजीर, किशमिश, बादाम आदि का सेवन
करें।
भोजन में रोटी से अधिक हरी-सब्जियों का सेवन करें।
ककड़ी, शलगम, गाजर, मूली, टमाटर, पालक, मेथी, पत्ता गोभी, बथुआ, प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े कर नीबू का रस मिलाकर सलाद
की तरह नियमित खाएं।
रात्रि में सोते समय गर्म मीठा दूध के साथ सेवन करें।
दोपहर के भोजन के मध्य में और अंत में थोड़ा-धोड़ा छाछ पिएं।
पेय पदार्थ जैसे शर्बत, सूप, मट्ठा, पानी अधिक सेवन करें।
क्या न खाएँ
गेहूँ के आटे की रोटियां कम-से-कम खाएं।
बासी, ठंडे TRE, तले-भुने, मैदे के व्यंजन, मिर्च मसालेदार चटपटी चीजें, मांस, अंडा, उड़द की दाल, बैगन, मसूर, चने की दाल का सेवन न करें।
शराब, चाय, कॉफी, तंबाकू के सेवन से बचें।
केला, सेब, प्याज, मूली, दही आदि रात्रि के भोजन में न खाएं।
भोजन के पूर्व, मध्य और अंत में एक बार में अधिक मात्रा में पानी न पिएं।
रोग निवारण में सहायक उपाय
क्या करें
24 घंटों में सुबह-शाम दो बार शौच जाने की आदत डालें।
सुबह ब्रश करके शौच से पूर्व एक-दो गिलास पानी पिएं।
प्रातः एवं साय॑ काल 2-3 किलोमीटर पैदल घूमने का नियम बनाएं।
नित्य परिश्रम का कार्य या व्यायाम करें।
भोजन के एक घंटा बाद एक-दो गिलास पानी पिएं।
सरसों के तेल की पेट पर सुबह-शाम नियमित मालिश करें।
कभी-कभार कब्जियत की तकलीफ बढ़ने पर ईसबगोल की भूसी गर्म दूध के साथ सोते समय सेवन करें।
क्या न करें
आलस में बैठकर जीवन यापन करने की आदत न बनाएं।
शौच की हाज़त लगने पर रोकने का प्रयत्र न करें।
भोजन करने के तुरंत बाद मानसिक परिश्रम न करें।
मानसिक तनाव, चिंता, क्रोध या शोक की अदस्था में भोजन न करें।
कब्ज निवारण के लिए नियमित दवाएं सेवन करने की आदत न डालें।
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